मांगने से रास्ता मिल नही रहा था अब छीनने की ज़िद पाली है...
शुक्रवार, जुलाई 09, 2010
ज़ुबानी जमाईगीरी
दो.. संघ हमेशा देता संस्कृति, संस्कार की दुहाई, दुलारे गडकरी को क्यों लाज फिर ना आई। लालू-मुलायम को कुत्ता कह फंसे पहले, अब, आतंकी अफज़ल पर जुबान लड़खड़ाई, फांसी तो लगेगी तब लगेगी कांग्रेसीराज है, जुबान क्योंकर अपशब्दों की बलि चढ़ाई ।
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