शुक्रवार, जुलाई 09, 2010

ज़ुबानी जमाईगीरी

दो..
संघ हमेशा देता संस्कृति, संस्कार की दुहाई,
दुलारे गडकरी को क्यों लाज फिर ना आई।
लालू-मुलायम को कुत्ता कह फंसे पहले,
अब, आतंकी अफज़ल पर जुबान लड़खड़ाई,
फांसी तो लगेगी तब लगेगी कांग्रेसीराज है,
जुबान क्योंकर अपशब्दों की बलि चढ़ाई ।

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