मांगने से रास्ता मिल नही रहा था अब छीनने की ज़िद पाली है...
भुख जिस देश की जमीनी सच्चाई हो वहाँ पर यह सब होना शर्मनाक तो है ही...जब भ्रष्टाचार की आरती लिखनी शुरु ही की थी तो इतने संक्षेप से काम नही चलेगा थोडा विस्तार और दीजिए हो सकता है कि एक महाकाव्य बन जाएं...डा.अजीत
ha abhijit ji bilkul sahi kha aapne
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भुख जिस देश की जमीनी सच्चाई हो वहाँ पर यह सब होना शर्मनाक तो है ही...जब भ्रष्टाचार की आरती लिखनी शुरु ही की थी तो इतने संक्षेप से काम नही चलेगा थोडा विस्तार और दीजिए हो सकता है कि एक महाकाव्य बन जाएं...
डा.अजीत
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