गुरुवार, मई 13, 2010

परिचय

पिछले करीब पांच सालों से ब्लॉग पढने के जरिये चिट्टाजगत का हिस्सा रहा हूँ , लेकिन अब तक अपना ब्लॉग बनाने-लिखने की हिम्मत नहीं हो रही थी। हिम्मत इसलिए नहीं की क्या लिखूंगा, बल्कि इसलिए कि कम्बखत स्वभावगत सुस्ती और आलस्य नियमित लेखन करने भी देगा। इस दौरान मित्रों ने खूब कहा कि लिखो भाई शुरुवात टो करो..खासकर मित्र अजीत ने टो हर बार मुलाकात करते उर पूछा कि क्या ब्लॉग बनाया? यहाँ तक कि अपने ब्लॉग पर छपे नए छित्तों के माध्यम से भी ब्लॉग्गिंग से परोक्ष रूप से जुड़ने कि प्रेरणा देते रहे। आलस्य की चादर उतार पिछले दिनों एक ब्लॉग बनाया भी...प्रहार..माफ़ कीजिये' मेरा प्रहार ' किसी और पर नहीं बल्कि मेरी अपनी ही खामियों-कमियों पर हमला बोलते हुए, आस-पास घट-बढ़ रहे समय को लेकर मेरी सोच का आइना होगा
बाकि आप चिट्टाजगत के वरिष्ठजनों का स्नेह और मार्गदर्शन तो मिलता ही रहेगा...

1 टिप्पणी:

Dr.Ajit ने कहा…

देर आये दुरस्त आयें....अब जब सुस्ती टुट ही गई है तो झपकी नही आनी चाहिए लेखन मे...निरंतरता बनी रहेगी...ऐसा विश्वास है।

नवांकुर के लिए ढेरो शुभकामनाएं...
डा.अजीत