शनिवार, जून 05, 2010

परीक्षा हाल

पिछले ३-४ वर्षों के बाद एक बार फिर परीक्षा हाल का नजारा देख रहा हूँ..अपनी ३-४ साल से पूरी नहीं हो पा रही पत्रकारिता की मास्टर डिग्री को पूरा करने की सोची है। एक तो इग्नू से पीजी डिप्लोमा करने में ही ३-४ साल लग गए..साथ दाखिला लेने वाले भाई लोगन तो मास्टरी भी करने लगे है..लेकिन अपन आज भी नांगलोई के नाथू राम कॉन्वेंट स्कूल में एम ए फ़ाइनल इयर के पेपर दे रहे है..जैसे तैसे दो तो निपट-निपटा गए बाकि तीन भी निपट जायें..दरअसल..जैसे तैसे पेट पूजा हो ही रही है लेकिन किसी ने कहा पीजी डिप्लोमा है तो लेटरल टर्म से केयूके से एम ए कर लो..किसी साथी ने नसीहत दी और कुछ नहीं तो कम से कम इस मीडिया की भीड़ से जब बाहर ढेल दिये जाओगे तो कहीं पढ़ा तो लोगे..या फिर कहीं पीआरओ ही बन जाना..पांच साल की पत्रकारिता की थकेती के बाद अब कभी कभी मुझे भी सोच कर डर सा लगने लग जाता है..और इसी डर की जद में खुद को परीक्षा हाल में पसीना-पसीना पाता हूँ...दिन में परीक्षा देता हूँ तो रात्रि पली में ऑफिस में ड्यूटी बजाता हूँ...ऑफिस आया तो पता चला कि मुझे सोमवार अल सुबह ही चंडीगढ़ के लिए निकलना है..सूचना और प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी राज्यसभा के लिए नामांकन भरेंगी...रविवार को गाँव भी जाना है कई दिनों के बाद..गाँव में पंचायत चुनाव का सीजन है...हाँ राजीव गाँधी दे गए गाँव वालों को भी प्रधानी करने का मौका..ठीक है इसी बहाने गरीब लोगों के होटों पर भी देसी-विदेशी नमकीन पानी लग जाता है..वर्ना वोट तो वैसे भी किसी न किसी को तो देना ही होता है..घर में रखकर कौन सा मुरब्बा बनता है इसका ॥

1 टिप्पणी:

Dr.Ajit ने कहा…

इग्नू की परीक्षा के पुराने दिन याद दिला दिए आपने..दोस्त ज़िन्दगी एक परीक्षा रोज लेती है फिर भी आपको मसरुफियत मुबारक ...मेरी आवारागर्दी खुब चल रही है...राह मे खो गये सभी चलते फिरते घर से निकलूं तो कोई यार पुराना न मिलें...। खानाबदोश पर आते रहिएगा ताकि अपनी भी गुमरही का अन्दाजा होता रहे..। यदूनन्दन कैसा है? सबको अपनी नमस्कार..!!!

अजीत